अंगार वीर ने उगले है
अंगार वीर ने उगले है , कुछ ऐसा तुम श्रृंगार करो ।
रण में जो घाव मिले मुझको , चुम्बन से तुम उपचार करो ।
जाना जल्दी फिर समरभूमि , सजनी उत्साह भरो अंदर ,
रोम रोम की पीड़ा हर लो , मुझ पर इतना उपकार करो ।
अंगार वीर ने उगले है , कुछ ऐसा तुम श्रृंगार करो ।
रण में जो घाव मिले मुझको , चुम्बन से तुम उपचार करो ।
जाना जल्दी फिर समरभूमि , सजनी उत्साह भरो अंदर ,
रोम रोम की पीड़ा हर लो , मुझ पर इतना उपकार करो ।