अँधेरा कुछ तो कम होगा
न ये सोचो अकेले दूर कैसे तुमसे तम होगा
जलाओ ज्ञान का दीपक अँधेरा कुछ तो कम होगा
बदलनी है तुम्हे इस देश की तकदीर अब साथी
चलो अज्ञानता की काट दो जंजीर अब साथी
बहारों का है मौसम फिर भी क्यों बेरंग ये दुनिया
सजा दो रंगों से जीवन की हर तस्वीर अब साथी
परिश्रम से तुम्हारे मुल्क का फिर नवजनम होगा
जलाओ ज्ञान का दीपक अँधेरा कुछ तो कम होगा
गिरा शिक्षा का जो स्तर उसे ऊपर उठा दोगे
बड़ा विश्वास है तुम पर कि तुम कुछ तो नया दोगे
ये दुनिया वर्णमाला की सजा दो गाँव में घर-घर
रटे गिनती-पहाड़े हो उठें अब चेतना के स्वर
पकड़ लो अंगुली इनकी फिर बुलंदी पर कदम होगा
जलाओ ज्ञान का दीपक अँधेरा कुछ तो कम होगा
बड़े मासूम हैं बच्चे नहीं इनको दगा देना
पढ़ा देना ,लिखा देना, इन्हें सबकुछ सिखा देना
तुम्हारे ही भरोसे उसने इनको ला के छोड़ा है
समझ लो वक़्त रहते जिम्मेदारी वक़्त थोड़ा है
करो इन पर करम तुम पर मेरे रब का करम होगा
जलाओ ज्ञान का दीपक अँधेरा कुछ तो कम होगा