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3 Jan 2022 · 1 min read

ःअस्तित्व ः

द्वंद का गठजोर हैं ।
असहाय अपना अस्तित्व है .
लगता है मुझे आज ।
स्वार्थ की वेदी पर है हार -जीत।
विचारों का तुफान लिए ।
अपना अपमान लिए
जीए जा रहे हैा
गरीबी बाँध रही है साख ।
दो पैसों के पीछे पागल है,
सब आज।_ डॉ. सीमा कुमारी बिहार (भागलपुर )

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 237 Views
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