ःअस्तित्व ः
द्वंद का गठजोर हैं ।
असहाय अपना अस्तित्व है .
लगता है मुझे आज ।
स्वार्थ की वेदी पर है हार -जीत।
विचारों का तुफान लिए ।
अपना अपमान लिए
जीए जा रहे हैा
गरीबी बाँध रही है साख ।
दो पैसों के पीछे पागल है,
सब आज।_ डॉ. सीमा कुमारी बिहार (भागलपुर )