Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Oct 2021 · 1 min read

رَہے ہَمیشَہ اَجْنَبی

رَہے ہَمیشَہ اَجْنَبی،
کبھی نہ ہوئے عام
وزیر اعظم ہی رہے،
پہنچے نا پیغام

•••

रहे हमेशा अजनबी
कभी न होते आम
वज़ीर आज़म ही रहे
पहुँचे ना पैग़ाम

***

Language: Urdu
Tag: نظم
2 Likes · 2 Comments · 305 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
"गॉंव का समाजशास्त्र"
Dr. Kishan tandon kranti
"I’m now where I only want to associate myself with grown p
पूर्वार्थ
23/188.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/188.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दूर जाना था मुझसे तो करीब लाया क्यों
दूर जाना था मुझसे तो करीब लाया क्यों
कृष्णकांत गुर्जर
Impossible means :-- I'm possible
Impossible means :-- I'm possible
Naresh Kumar Jangir
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
Ranjeet kumar patre
छलनी- छलनी जिसका सीना
छलनी- छलनी जिसका सीना
लक्ष्मी सिंह
इज़हार ज़रूरी है
इज़हार ज़रूरी है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जो सबका हों जाए, वह हम नहीं
जो सबका हों जाए, वह हम नहीं
Chandra Kanta Shaw
मातृभाषा हिन्दी
मातृभाषा हिन्दी
ऋचा पाठक पंत
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet kumar Shukla
दिखा तू अपना जलवा
दिखा तू अपना जलवा
gurudeenverma198
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १)
Kanchan Khanna
नया से भी नया
नया से भी नया
Ramswaroop Dinkar
कैसा विकास और किसका विकास !
कैसा विकास और किसका विकास !
ओनिका सेतिया 'अनु '
बढ़ चुकी दुश्वारियों से
बढ़ चुकी दुश्वारियों से
Rashmi Sanjay
ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम
ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम
Buddha Prakash
सोच का आईना
सोच का आईना
Dr fauzia Naseem shad
जन मन में हो उत्कट चाह
जन मन में हो उत्कट चाह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
तुझे पन्नों में उतार कर
तुझे पन्नों में उतार कर
Seema gupta,Alwar
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
सत्य शुरू से अंत तक
सत्य शुरू से अंत तक
विजय कुमार अग्रवाल
💐प्रेम कौतुक-243💐
💐प्रेम कौतुक-243💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
युगांतर
युगांतर
Suryakant Dwivedi
कविता -
कविता - "करवा चौथ का उपहार"
Anand Sharma
किसका चौकीदार?
किसका चौकीदार?
Shekhar Chandra Mitra
जीवन के बसंत
जीवन के बसंत
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
तुझसे मिलते हुए यूँ तो एक जमाना गुजरा
तुझसे मिलते हुए यूँ तो एक जमाना गुजरा
Rashmi Ranjan
*नारियों को आजकल, खुद से कमाना आ गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*नारियों को आजकल, खुद से कमाना आ गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
दोय चिड़कली
दोय चिड़कली
Rajdeep Singh Inda
Loading...