Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2016 · 4 min read

?”बढ़ते बॉलीवुड के कदम” ?

मेरा पहला लेख
आंतरिक प्रेरणा ने लेख को मजबूर किया ।
जैसा कि हम फ़िल्म जगत को मुख्य रूप से हम दो रूपों में जानते हैं बॉलीवुड और हॉलीवुड।
परन्तु बॉलीवुड हमारे हिंदी जगत का सिनेमा है इतना ही समझ में आता है । एक समय जब स्वर्ग , पत्थर के सनम , मोहम्मद रफ़ी का जमाना था , तब गानों में एक वास्तविकता एवम् आंतरिक शान्ति का एहसास हुआ करता था ।
धीरे धीरे आधुनिकता आई , औरत की साड़ी सरकी , और कन्धे से साड़ी में अंतिम दुपट्टे का मोड़ भी खत्म हुआ , घबराना नहीं ये सच्ची कहानी है । सभी को बहुत अच्छा लगने लगा ,क्या फ़िल्म है वाह देख कर मजा आ गया । सभी के कमेंट क्या गजब की आइटम थी । फिर क्या हुआ रेप पर आधारित फ़िल्म बनने लगी। जैसे जैसे इस टाइप की गर्मा गर्म फ़िल्में बनने लगी , एक तरफ लोगों को मजा आने लगा दूसरी तरफ युवा पीढ़ी उसी का अनुसरण करने लगी । अब बन्द कमरे में पति पत्नी एवम् सुहाग रात को क्या करते हैं वो भी लगभग 80 प्रतिशत दिखाया जाने लगा । देखिये भड़कना नहीं । सच तो सच है । फिर अब ये वक़्त है लिव इन रिलेशनशिप यानी शादी भी क्यों करनी जिस्म का आनन्द लो । आगे सोच मिलती है तो ठीक है , नहीं तो सन्डे को लेफ्ट और मंडे को नेक्स्ट । निक्कर जितनी नीचे , ऊपर तो जो पहनती है उसकी कोई परिभाषा नहीं । सभी लोगों के विचार देखिये बहुत जबरदस्त फ़िल्म है सीन ही सीन है उसमें तो । मजा आ गया । परन्तु गौर करें यदि आने वाले वक़्त में यदि आपकी 7 साल की सन्तान आपसे पूछेगी पापा ये लड़का लड़की आपस में क्या कर रहें है तो भी आप सोच कर रखें कि आपको क्या कहना है । क्योंकि उसकी जिज्ञासा आप नहीं शांत करोगे तो वो बाहर कहीं आपका विकल्प ढूंढेगी। किसी लड़की का रेप होता है आप उसे इतना हाईलाइट करते हैं जैसे सबसे ज्यादा सहानुभूति आप ही को है । शेयर , टैग , लाइक , कमेंट फेसबुक पर एवम् अन्य अनुप्रोयोगों पर वायरल कर अपनी दरियादिली दिखातें है ।आप में से कितने लोग जो बॉलीवुड के आज के हालत को गलत मानकर खुलकर विरोध करना चाहते हैं । लड़कियां तो बस गिनी चुनी होंगी । अभी किसी का बलात्कार हो जाये तो मोमबत्ती लेकर ऐसे खड़ी होंगी जैसे इनसे ज्यादा सादगी की मिसाल कोई है ही नहीं और ये देश की सभ्यता की मूरत है । क्या आप बॉलीवुड के नंगेपन को लेकर चिंतित है , कृपया बताएं एवम् मुझे ईमेल करें फिर इस पर कोई कार्यवाही की जायेगी परन्तु मैं अकेला कुछ नहीं कर सकता मेरी आवाज को दबाने में उन्हें 1 दिन भी नहीं लगेगा जो वासनाओं का प्रदर्शन कर आज के युवाओं को भ्रमित कर दोनों की जिंदगी तबाह कर रहे हैं । अभी भी समय है अपनी आने वाली पीढ़ी को बचा लें जितना हो सकता है नहीं तो ऐसा वक़्त आएगा । आप ही के बच्चे इतनी गन्दगी में जिएंगे जिसे आप आधुनिकता कहते तो रहेंगे परन्तु आप के पास उसको देखकर आत्महत्या के सिवाय कुछ नहीं बचेगा । आज की कोई ऐसी 10 फ़िल्म बता दो जिसे आप सभी परिवार सदस्य बुजुर्ग समेत देख सकते हो । जवाब ना ही होगा । परन्तु अभी तो ये 40 प्रतिशत नंगापन दिखा रहे है आने वाले वक़्त में जब 80 प्रतिशत हो जायेगा तो समझ लीजिये । स्तनों का प्रदर्शन तो लड़कियां ऐसे करती है जैसे वो बस इसी को फ़िल्म के सफल होने का आधार मानते हैं मेरे शब्द कड़े जरूर हैं परन्तु जो देख रहा हूँ लिखे बिना रह नहीं स्का । क्या आप की अंतरात्मा से पूछे कि ये 1 प्रतिशत भी आपका मन गवाही देता हैं। यदि आप का इतना ही मन है तो कुछ स्पेशल फ़िल्म बन्नी चाहिए जिसमे एडल्ट सीन हो । जिसकी वासना देखने की इच्छा हो वो अपनी इच्छानुसार देख ले । परन्तु आज टीवी का कौन सा चैनल चलायें ये सोच में पढ़ जाते हैं ।परिवार में प्रति व्यक्ति का पर्सनल रूम का रिवाज भी इसी शर्म ने शुरू किया है एडल्ट सीन देखने का मन करता है युवा पीढ़ी का , परन्तु घरवालों के सामने देख नही पातें। युवा पीढ़ी असहनशील एवम् चिड़चिड़ी हो रही हैं। आज भी लड़कों के मन को बहाने वाला आकर्षण सूट सलवार में ही है । परन्तु लड़कियां सोचती हैं बिना आँचल छाती की रोब दिखा कर लड़कों को आकर्षित कर लेंगी ये गलतफहमी है वो आपको अपनी मेहबूबा के रूप में देखकर नहीं आकर्षित होंगे बल्कि आँखों की प्यास बुझाने मात्र , कुछ समय के लिए वासना पूर्ति का साधन समझ कर काम चलाने का माध्यम ही समझेंगे । जीन्स टॉप की जगह आँचल ढका सूट भी पहन ले मेरी बहन और माँ तो 70 प्रतिशत आँखों में गन्दगी यहि दूर हो जायेगी । कुछ लड़कियां ये कहती अपनी सोच सही रखो। नारी को सशक्त इसीलिए बनाने का प्रयत्न किया गया कि जो पुरुष उन पर अत्याचार करते थे -मारपीट वगैरा उसके खिलाफ खड़ी हो , ये नहीं नग्नता का प्रदर्शन कर ये दिखाएँ , हम broad minded है । डूब मरें ऐसी सोच जो अंग प्रदर्शन को सब कुछ मानती है । यही तो है बॉलीवुड का जूनून । सास बहु का और तलाक का सबसे बड़ा कारण षड्यंत्र से भरपूर नाटकों का होना है । जाग जाओ भारतीयों। यदि आपकी इंसानियत एवम् अंतरात्मा दुबारा से आशिकी की सादगी मांगती है एवम् हवस एवम् वासनाओं के प्रदर्शन उदहारण के तौर पर इमरान हाश्मी जैसी कलाओं के विरुद्ध अंदर से आपको कुछ कहती है तो मुझे ईमेल करें । 200 लोगों के होते ही अभियान शुरू हो जायेगा । जागृति का । देखता हूँ क्या 100 करोड़ की जनता में ऐसी सोच रखने वाले 200 लोगों के आगे आने में कितनी देर लगती हैं ।
मेरी ईमेल -ksmalik2828@gmail.com
आपको मेरी इस पोस्ट पर कोई व्यंग्य करना हो खुल कर इस पेज पर करें अच्छा या बुरा स्वागत है ।
आपका कवि एवम् शायर
कृष्ण मलिक©

Language: Hindi
Tag: लेख
363 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from कृष्ण मलिक अम्बाला
View all

You may also like these posts

10वीं के बाद।।
10वीं के बाद।।
Utsaw Sagar Modi
पेड़ और चिरैया
पेड़ और चिरैया
Saraswati Bajpai
राम बनना कठिन है
राम बनना कठिन है
Satish Srijan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
यदि आपका आज
यदि आपका आज
Sonam Puneet Dubey
2669.*पूर्णिका*
2669.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"क्या होगा?"
Dr. Kishan tandon kranti
वो अपनी जिंदगी में गुनहगार समझती है मुझे ।
वो अपनी जिंदगी में गुनहगार समझती है मुझे ।
शिव प्रताप लोधी
రామయ్య రామయ్య
రామయ్య రామయ్య
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
बरसात
बरसात
Swami Ganganiya
अंतहीन प्रश्न
अंतहीन प्रश्न
Shyam Sundar Subramanian
किसी ने पूछा इस दुनिया में आपका अपना कौन है मैंने हंसकर कहा
किसी ने पूछा इस दुनिया में आपका अपना कौन है मैंने हंसकर कहा
Ranjeet kumar patre
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
Subhash Singhai
गरिमा
गरिमा
इंजी. संजय श्रीवास्तव
भाग गए रणछोड़ सभी, देख अभी तक खड़ा हूँ मैं
भाग गए रणछोड़ सभी, देख अभी तक खड़ा हूँ मैं
पूर्वार्थ
उन्हें हद पसन्द थीं
उन्हें हद पसन्द थीं
हिमांशु Kulshrestha
जीना चाहिए
जीना चाहिए
Kanchan verma
अंधेरों से कह दो की भटकाया न करें हमें।
अंधेरों से कह दो की भटकाया न करें हमें।
Rj Anand Prajapati
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
द्रौपदी ही अब हरेगी द्रौपदी के उर की पीड़ा
द्रौपदी ही अब हरेगी द्रौपदी के उर की पीड़ा
श्रीकृष्ण शुक्ल
उदास
उदास
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"फेसबूक के मूक दोस्त"
DrLakshman Jha Parimal
मिली नही विश्वास की, उन्हें अगर जो खाद
मिली नही विश्वास की, उन्हें अगर जो खाद
RAMESH SHARMA
हिंदी हमारी शान
हिंदी हमारी शान
Sudhir srivastava
! हिंदी दिवस !
! हिंदी दिवस !
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
मैं क्यों याद करूँ उनको
मैं क्यों याद करूँ उनको
gurudeenverma198
सर्वप्रथम पिया से रँग लगवाउंगी
सर्वप्रथम पिया से रँग लगवाउंगी
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
कुण्डलिया
कुण्डलिया
अवध किशोर 'अवधू'
मेरा नाम .... (क्षणिका)
मेरा नाम .... (क्षणिका)
sushil sarna
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
Loading...