✍️लबो ने मुस्कुराना सिख लिया
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मुश्किलो के ऊँचे पहाड़ो पे चढ़ना उतरना सिख लिया
दर्द का समंदर लाख गहरा हो हमने तैरना सिख लिया
पाँव छालों भरे है फिर भी रास्तो से हमें कोई बैर नही
तड़पती रूह में भी इन लबो ने मुस्कुराना सिख लिया
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©✍️’अशांत’ शेखर
26/09/2022