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28 Sep 2022 · 1 min read

✍️अस्तित्वाच्या पाऊलखुणा

पावलांना
कधी कुठे
उसंत असते…
ते शोधत
फिरतात
आपल्याच
अस्तित्वाच्या
पाऊलखुणा
चुकलेल्या
भूतकाळातल्या…

पुन्हा पुन्हा
भविष्याच्या
वाटचालीत
दिशाभूल
करणारा
तोच तो भूतकाळ
येऊ नये म्हणून…

मात्र वर्तमान
निरंतर सांगड
घालत बसतो
भुतकाळाला ही
समझ देत…
भविष्याला सुद्धा
तो सांत्वना देऊन जातो
एका नव्या उमेदीची…

पाऊलांना
खरचं कुठे
उसंत मिळते
ते मग झपाझपा
चालू लागतात
परत आयुष्याच्या
आशादायी वाटेवर
कधी ही न थांबता…
……………………………………………//
©✍️’अशांत’ शेखर
28/09/2022

179 Views
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