माँ की आँखों में पिता / मुसाफ़िर बैठा
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
मत हवा दो आग को घर तुम्हारा भी जलाएगी
चूरचूर क्यों ना कर चुकी हो दुनिया,आज तूं ख़ुद से वादा कर ले
।। जीवन प्रयोग मात्र ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*** तूने क्या-क्या चुराया ***
याद है पास बिठा के कुछ बाते बताई थी तुम्हे
दौलत से सिर्फ"सुविधाएं"मिलती है
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Someday you'll look back and realize that you overcame all o
माँ की ममता के तले, खुशियों का संसार |
मेरे जीतने के बाद बहुत आएंगे
रूप अलौकिक हे!जगपालक, व्यापक हो तुम नन्द कुमार।
इजाज़त है तुम्हें दिल मेरा अब तोड़ जाने की ।
यदि कोई देश अपनी किताबों में वो खुशबू पैदा कर दे जिससे हर य