■ विडंबना-
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■ विडंबना-
कहते हैं कि सब भरे में भरते हैं। इस सच के प्रमाण सिर्फ़ इंसान ही नहीं बादल भी हैं और कुदरत भी।
■प्रणय प्रभात■
■ विडंबना-
कहते हैं कि सब भरे में भरते हैं। इस सच के प्रमाण सिर्फ़ इंसान ही नहीं बादल भी हैं और कुदरत भी।
■प्रणय प्रभात■