जिंदगी में अपने मैं होकर चिंतामुक्त मौज करता हूं।
23/133.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
न जुमला, न आरोपों की राजारानी चाहिए।
चाहतों की सेज न थी, किंतु ख्वाबों का गगन था.....
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
गूंजा बसंतीराग है
Anamika Tiwari 'annpurna '
*हारा कब हारा नहीं, दिलवाया जब हार (हास्य कुंडलिया)*
ग़ज़ल _ करी इज़्ज़त बड़े छोटों की ,बस ईमानदारी से ।
बेवफाई उसकी दिल,से मिटा के आया हूँ।
ख़्वाब ख़्वाब ही रह गया,
अजहर अली (An Explorer of Life)
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
यादों को कहाँ छोड़ सकते हैं,समय चलता रहता है,यादें मन में रह
देखें क्या है राम में (पूरी रामचरित मानस अत्यंत संक्षिप्त शब्दों में)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }