ज़िंदादिली
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/2daf695896e7a15d3f372a35cf3b792b_57f9afb2ece4f6c39facaacfa502b182_600.jpg)
ग़र है लहू तेरी रगों में तो खौलने दे उसे खुलकर,
कम से कम तेरे ही ज़हन में ये बात तो आये की तू ज़िंदा है,
तू ज़िंदा है तो ज़िंदादिली की बात कर क्योंकि बेज़ुबान तो मुर्दा हुआ करते है,
सबूत पेश करता रह इस दुनिया मे, कि तू ज़िंदा है,
वरना मुर्दे अपनी खुदती हुई कब्र का एतराज़ नही करते हैं