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28 Jul 2016 · 1 min read

श्रम की सार्थकता

कुंडलिनी
कण कण मधु संचित किया, लेकर सतत पराग।
मधुमक्खी का श्रम हुआ, औरों का ही भाग ।
औरों का ही भाग, समर्पित कर निज क्षण क्षण।
भरता जीवन स्वाद, श्रमिक का अर्जित कण कण।
अंकित शर्मा’इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)

Language: Hindi
454 Views
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