शेष बचे यदि गाँव
कहाँ बचेंगे पेड़ फिर, कहाँ मिलेगी छाँव !
ढले शहर के रंग में, शेष बचे यदि गाँव !!
मिलें जहाँ हर मोड़ पर, खड़े दुशासन आज !
कौन द्रोपदी की वहां, …..बचा सकेगा लाज !!
रमेश शर्मा
कहाँ बचेंगे पेड़ फिर, कहाँ मिलेगी छाँव !
ढले शहर के रंग में, शेष बचे यदि गाँव !!
मिलें जहाँ हर मोड़ पर, खड़े दुशासन आज !
कौन द्रोपदी की वहां, …..बचा सकेगा लाज !!
रमेश शर्मा