शिव वंदना
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तेरे द्वार खड़ा हूँ प्रभु सुनो अब मेरी।
आया तेरी शरण सुनो हे देव व्याथा मेरी।।
काशी के कंकड़ में शंकर रामेश्वरम काबा रहते हैं।
हिम आछादित हिम शिखरों पर हो बसते।।
तेरा वाहन कामधेनु सुत जिस पर हो चलते।
हिम तनया माता गौरी संग हो नित्य विचरते।।
पतित पावनी गंगा शोभित जटा जूट में तेरे।
नमन तुम्हें भोले शंकर शरण पड़ा अब तेरे।।