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18 Feb 2017 · 1 min read

शायरी

वो महफ़िल नहीं कुछ काम की, जहाँ तेरा जिक्र न हो
में बैठा रहू यहाँ बेखबर और तेरी मुझ को फ़िक्र न हो
ऐसा तो दिल नहीं मेरा , कि इस दिल से खेला जाये
ठोकर लगे तुझ को जरा सी, और मेरे सीने में हलचल न हो जाये !!

अकेले चलने का अंदाज , मैने खुद ही पाया है
रूकना और रूक के फिर बढ़ना, खुद को सिखाया है
तूफानों का काम है, कि रोक दो रास्ता सभी का
मैने तो तूफानों के बीच से अपना रास्ता बनाया है !!

अजीत

Language: Hindi
Tag: शेर
312 Views

Books from गायक और लेखक अजीत कुमार तलवार

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