विश्व पृथ्वी दिवस
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/e57613fbbcaeb94e1f70caef5674df0d_cc3ea9f437070ed743339a39bb9a82de_600.jpg)
धरा रात दिन करती काम
ज़रा न करती है आराम
देती यही खाद्य भंडार
और लुटाती सब पर प्यार
माटी इसकी है अनमोल
मानव अपनी आँखें खोल
नहीं स्वार्थ में इसे उजाड़
पेड़ों को तू नहीं उखाड़
कर अपनी धरती पर नाज़
हरियाली का पहना ताज
ये तो है रत्नों की खान
बनते इस पर भव्य मकान
रखना होगा हर पल ध्यान
धरा हमारी मात समान
22-4-2022
डॉ अर्चना गुप्ता