वन मोर नचे घन शोर करे, जब चातक दादुर गीत सुनावत।
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/5a0aa837fdeaf1a900f8795d9567b4f0_bce0035816274448606c0f9f3eaf5cad_600.jpg)
वन मोर नचे घन शोर करे, जब चातक दादुर गीत सुनावत।
छिछली तटिनी उतराई बहे, पावस नभ से जलधार गिरावत।
सखियाँ सब झूलत बागन में, झुलुआ सजना मुसकाय झुलावत।
जब सर्द समीर लगे वपु में, सजनी तन में रति काम जगावत।।