लश्क़र देखो
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रब को भी ऊपर देखो
अपने भीतर डर देखो
मंदिर में है बैठा रब
मत उसको पत्थर देखो
रातो दिन सड़कों पर अब
चलता यह लश्कर देखो
अपने अपनों से घायल
सीने पर खंजर देखो
लोग घरों में छिपते हैं
दहशत का मंजर देखो
हाल बुरा कोरोना से
बंद सभी दफ्तर देखो
रोटी को तरसें बच्चे
कंगालों का घर देखो
आँसू सूखे आँखों के
बस खारा सागर देखो
नदियों की कल-कल-सा अब
बहता यह निर्झर देखो
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
28/9/2022
वाराणसी ,©®