लघुकथा – एक रुपया
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लघुकथा – एक रुपया
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अखबार में मोटे अक्षरों में छपी खबर को पढ़कर कंचन बिटिया ने दादा से पूछा – ” दादा जी रमेश अंकल के घर ये नई गाड़ी किसकी है ?”
‘ बेटा , ये रमेश अंकल की है।’
“कब खरीद कर लाये हैं ?”
‘बेटा ये तो उन्हें शादी में मिली है।’
“अखबार में छपी खबर की ओर इशारा करते हुए कंचन ने कहा – ” दादा जी इसमें तो लिखा है एक रुपया लेकर शादी करके मिसाल कायम की रमेश ने ”
प्रत्युत्तर में दादा जी ने कहा – ‘ बेटा , गाड़ी घोड़ा की बात छोड़ो, रुपया तो एक ही लिया है ना!’
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अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा