रूह को खुशबुओं सा महकाने वाले
रूह को खुशबुओं सा महकाने वाले
क्यों चले जाते हैं दिल में आने वाले
मजबूरी की कोई कीमत नहीं सरल
बेघर हो जाते हैं यहां घर बनाने वाले
✍️कवि दीपक सनम
रूह को खुशबुओं सा महकाने वाले
क्यों चले जाते हैं दिल में आने वाले
मजबूरी की कोई कीमत नहीं सरल
बेघर हो जाते हैं यहां घर बनाने वाले
✍️कवि दीपक सनम