यह मकर संक्रांति

लाती है ऐसे खुशियाँ, यह मकर संक्रांति।
भरती है ऐसे उल्लास,यह मकर संक्रांति।।
लाती है ऐसे खुशियाँ———————।।
कर्क रेखा से मकर रेखा में, सूर्य आ जाता है।
इसीलिए इसको,मकर संक्रांति कहा जाता है।।
करती है दिन को बड़ा, यह मकर संक्रांति।
भरती है ऐसे उल्लास, यह मकर संक्रांति।।
लाती है ऐसे खुशियाँ———————-।।
खेतों में फसलों की पूजा, होती है इस दिन।
बेटियाँ भी बाबुल के घर, आती है इस दिन।।
दान-पुण्य का है त्यौहार, यह मकर संक्रांति।
भरती है ऐसे उल्लास,यह मकर सक्रांति।।
लाती है ऐसे खुशियाँ———————-।।
इस दिन को पतंगों का,त्यौहार भी तो कहते हैं।
गुल्ली-डंडा- कुश्ती-दौड़ खेल, गांवों में खेलते हैं।।
तिल के लड्डू सी है मीठी, यह मकर संक्रांति।
भरती है ऐसे उल्लास, यह मकर संक्रांति।।
लाती है ऐसे खुशियाँ———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)