“मैं न चाहता हार बनू मैं
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“मैं न चाहता हार बनू मैं
या की प्रेम उपहार बनू मैं
या की शीश -श्रृंगार बनू मैं
मैं हूं फूल मुझे जीवन की
सरिता में ही तुम बहने दो
मुझे अकेला ही रहने दो !
“मैं न चाहता हार बनू मैं
या की प्रेम उपहार बनू मैं
या की शीश -श्रृंगार बनू मैं
मैं हूं फूल मुझे जीवन की
सरिता में ही तुम बहने दो
मुझे अकेला ही रहने दो !