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21 Oct 2016 · 1 min read

मेरा ठिकाना-८ –मुक्तक—डी के निवातियाँ

दरख्त मिटे गए मिटा परिंदो का आशियाना
खेत खलिहानों को मिटा, बना लिया घराना
इस कदर विकास हावी हुआ इस जमाने में
पशु पक्षी दूजे से पूछे, कहाँ है मेरा ठिकाना !!
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डी के निवातियाँ _________@

Language: Hindi
370 Views
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Books from डी. के. निवातिया

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