मुक्तक-
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मुक्तक-
सुनाकर प्रीत की वंशी पिला दी भंग होली में।
जमाने का लगा बदला अचानक ढंग होली में।
बनाकर भेष सखियों-सा चला आया बना टोली,
शरारत कर गया कान्हा लगाकर रंग होली में।।
डाॅ.बिपिन पाण्डेय
मुक्तक-
सुनाकर प्रीत की वंशी पिला दी भंग होली में।
जमाने का लगा बदला अचानक ढंग होली में।
बनाकर भेष सखियों-सा चला आया बना टोली,
शरारत कर गया कान्हा लगाकर रंग होली में।।
डाॅ.बिपिन पाण्डेय