मित्र
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मद मादक मदमस्त सा,घुला साँस में इत्र।
मन मन्दिर महका गया, मोहक मनहर मित्र।।
कैनवास पर फैलते, रंग बिरंगे चित्र।
भाग्य कर्म की तूलिका, देती सच्चा मित्र।।
देतीं हैं ये जिन्दगी,पल खुशियों के चंद।
रहे दोस्त जब संग में, आ जाता आनंद।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली