माता रानी दर्श का
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माता रानी दर्श का,बनता जब संयोग।
दिक्कत सारी खुद मिटे,मिटते सारे रोग।
मिटते सारे रोग,अर्थ भी समुचित आए।
उमड़े उर अनुराग,भक्ति का पथ ही भाए।
कहता कविवर ओम,मातु हैं सब कुछ ज्ञाता।
बनता सकल विधान, बुलातीं हैं जब माता।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम