माँ को अर्पित कुछ दोहे. . . .
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माँ को अर्पित कुछ दोहे : ……….
कण – कण में है सृष्टि के , माँ के चारों धाम।
बिन माँ के संसार में, कहीं नहीं विश्राम।।
हौले -हौले गोद में, सोया माँ का लाल।
हुआ बड़ा तो देखिए, भूला माँ का हाल।।
किया गर्भ में लाल का, माँ ने बड़ा ख़याल।
बिन बोले ही रो पड़ी, दुखी हुआ जब लाल।।
हर दम चाहे माँ यही, सुखी रहे संतान।
माँ देती संतान को, साँसों का वरदान।।
बिन देखे संतान को, मिटे न माँ की भूख।
भूख़ी हो संतान तो, माँ भी जाती सूख।।
सुशील सरना/24-11-23