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1 Feb 2023 · 1 min read

मज़दूर

लाचार था
मजबूर था
क्योंकि मैं
मज़दूर था…
(१)
कभी मज़हब
के हाथों से
कभी सियासत
के ज़रिए
क़त्ल हुआ
बेरहमी से
हालांकि
बेकसूर था…
(२)
मेहनतकश
ग़ुलाम रहें
हरामखोर
हाकिम बनें
सदियों से
इस समाज में
ज़ारी यही
दस्तूर था…
(३)
फिर एक बड़ा
इंकलाब हुआ
और यह देश
आज़ाद हुआ
लेकिन कुछ
मक्कारों को
ये सब कहां
मंज़ूर था…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#नवजागरण #गीत #प्रदर्शन #आंदोलन
#छात्र #गरीब #मजदूर #किसान #कवि
#students #politics #lyrics #सच
#bollywood #हल्लाबोल #सियासत

Language: Hindi
Tag: गीत
77 Views
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