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30 Jan 2024 · 1 min read

” ब्रह्माण्ड की चेतना “

” ब्रह्माण्ड की चेतना ”
एनर्जी का अहसास होता है मीनू को
जो सबसे अलग लेकिन अपनी सी है
खींचकर मुझको खुद से लपेट लेती
महसूस हुआ कि चेतना ब्रह्माण्ड में है,
पूजा पाठ आराधना तो बहाना सिर्फ
दैवीय शक्ति का कोई आकार नहीं है
सबने निकले अपने अलग अलग रास्ते
सर्वशक्तिमान तो सकारात्मकता में है,
कोई रखे व्रत तो कोई करता मूर्ति पूजा
रब तक जाने के सबके है रास्ते विभिन्न
निज मनुहार मनाने का है तरीका अलग
खिंचाव उस शक्ति का हिस्सा मात्र ही है,
सुख दुःख में मेरे सारे भाव को समझता
मंजिल तक पहुंचने की ताकत मुझे देता
मीनू को तो भाता ब्रह्मांड संग बतियाना
अंतरात्मा का जुड़ाव इसी चेतना से तो है।

Language: English
Tag: Poem
1 Like · 143 Views
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