बोतल को बदनाम
नहीं गवाँरा थी जिन्हें ,…….. नैनों में इक बूँद !
रखकर छवि अब वे सहज, लेते अँखियाँ मूँद !!
आखों ने ही कर दिया, होठों का जब काम !
होना है तब लाजमी,….बोतल को बदनाम ! !
रमेश शर्मा
नहीं गवाँरा थी जिन्हें ,…….. नैनों में इक बूँद !
रखकर छवि अब वे सहज, लेते अँखियाँ मूँद !!
आखों ने ही कर दिया, होठों का जब काम !
होना है तब लाजमी,….बोतल को बदनाम ! !
रमेश शर्मा