बाबा फरीद ! तेरे शहर में हम जबसे आए,
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बाबा फरीद ! तेरे शहर में हम जबसे आए,
दुख ,कष्ट और सिर्फ आंसू ही हमने पाए ,
ना जाना था की यह हमारे लिए इतना मनहूस होगा ,
बड़ी भूल हुई हमसे हम आखिर यहां क्यों आए ।
बाबा फरीद ! तेरे शहर में हम जबसे आए,
दुख ,कष्ट और सिर्फ आंसू ही हमने पाए ,
ना जाना था की यह हमारे लिए इतना मनहूस होगा ,
बड़ी भूल हुई हमसे हम आखिर यहां क्यों आए ।