बहुत कुछ सिखा
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बहुत कुछ सिखा
तुझसे जिन्दगी में मैंने।
बहुत मुश्किल था वो मिलना
जो पाके तुझे पाया मैंने।
समझना मुश्किल था
पर समझाया खुद को मैंने।
खुशियों के सागर में तैर रहा था मैं
खुद को प्रेम सागर में डूबाया मैंने।
तेरे लबों से जो बात निकली है
सच्च ही पाया उसे मैंने।
दिल है बेताब न जाने क्यो इतना
हर जगह आज तुझे ही पाया मैंने।
तेरे खुश मिजाज के अहसास ने डूबाया मुझे
अब जो डूबने में मजा आया है
वो ना कही और पाया मैंने।
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Swami ganganiya
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