बहुत असमंजस में हूँ मैं

बहुत असमंजस में हूँ मैं।
क्या करुँ, क्या नहीं करुँ मैं।।
बहुत असमंजस में————-।।
कोई कहता है, नहीं कर तू मोहब्बत।
कोई नहीं मरता संग, यही है हकीकत।।
किसको मानू सच्चा, झूठा किसको कहूँ मैं।
बहुत असमंजस में—————-।।
कहता नहीं कोई , खुद को किसी से छोटा।
मगर दिल है चूहे का ,पेट है बहुत मोटा।।
किसको अपना हमदर्द और दुश्मन कहूँ मैं।
बहुत असमंजस में———————।।
खुशी कब तुमको नहीं दी है, आखिर मैंने।
तुमको कब समझा नहीं अपना, आखिर मैंने।।
समझ नहीं आता, तुमको दान क्या करुँ मैं।
बहुत असमंजस में———————-।।
तुमको जिंदगी समझकर, लिखे हैं खत ये मैंने।
सींचा है तेरे गुलशन को, समझकर ख्वाब मैंने।।
रखूँ क्या इसको आबाद, या बर्बाद करुँ मैं।
बहुत असमंजस में————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)