बघेली कविता –
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बघेली कविता –
करिन खूब घोटाला दादू।
चरित्र बहुत है काला दादू।
गनी गरीब के हींसा माहीं,
मार दिहिन ही ताला दादू।
उईं अंग्रेजी झटक रहे हें,
डार के नटई माला दादू।
तुम्हरे घरे मा होई हीटर,
हमरे इहाँ है पाला दादू।
अबै चुनाव के बेरा आई,
मरा है मनई उसाला दादू।
✒ प्रियांशु कुशवाहा ‘प्रिय’