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23 Dec 2019 · 1 min read

प्रेम

राधा-मीरा की तरह,हुई प्रेम में बाध्य।
दवा लगा जाओ हृदय, ओ! मेरे आराध्य।
ओ मेरे आराध्य,श्याम सुंदर मनमोहन।
चीर वेदना शेष,रहे बेकल मेरा मन।
दे दो पूर्ण विराम, मिलन तेरा जो आधा।
ढ़ूँढ़ूँ आठों याम, बनी बैरागन राधा।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

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