Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2023 · 1 min read

प्रेम की अनिवार्यता

प्रेम की ‌अनिवार्यता

बहुत असंभव-से आविष्कार किए प्रेम ने
और अंततः हमें मनुष्य बनाया

लेकिन अस्वीकार की गहरी पीड़ा
उस प्रेम के हर उपकार का
ध्वंस करने पर तुली

दिया जिसने
सब कुछ न्यौछावर कर देने का भोलापन,
तर्क न करने की सहजता
और रोने की मानवीय उपलब्धि

प्रेम ने हमारी ऊबड़-खाबड़, जाहिल-सी
भाषा को कविता की कला सिखाई
और ज़िंदगी के घोर कोलाहल में
एकांत की दुआ माँगना

संभव नहीं था प्रेम के बिना
सुंदरता का अर्थ समझना

प्रेम होना ही सबसे बड़ी सफलता है
कोई असफल कैसे हो सकता है प्रेम में…
#ValentinesDay

Language: Hindi
1 Like · 53 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia! Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नरसिंह अवतार
नरसिंह अवतार
Shashi kala vyas
घमंड न करो ज्ञान पर
घमंड न करो ज्ञान पर
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जगमगाती चाँदनी है इस शहर में
जगमगाती चाँदनी है इस शहर में
Dr Archana Gupta
2262.
2262.
Dr.Khedu Bharti
ये मौन अगर.......! ! !
ये मौन अगर.......! ! !
Prakash Chandra
निर्लज्ज चरित्र का स्वामी वो, सम्मान पर आँख उठा रहा।
निर्लज्ज चरित्र का स्वामी वो, सम्मान पर आँख उठा रहा।
Manisha Manjari
■ कल्पनाओं से परे एक अद्भुत रहस्य
■ कल्पनाओं से परे एक अद्भुत रहस्य
*Author प्रणय प्रभात*
प्रिय-प्रतीक्षा
प्रिय-प्रतीक्षा
Kanchan Khanna
अगर सीता स्वर्ण हिरण चाहेंगी....
अगर सीता स्वर्ण हिरण चाहेंगी....
Vishal babu (vishu)
वक्त के रूप में हम बदल जायेंगे...,
वक्त के रूप में हम बदल जायेंगे...,
कवि दीपक बवेजा
है माँ
है माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हिंदी दोहा- महावीर
हिंदी दोहा- महावीर
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पवित्र मन
पवित्र मन
RAKESH RAKESH
नफ़रत की आग
नफ़रत की आग
Shekhar Chandra Mitra
किसी की किस्मत संवार के देखो
किसी की किस्मत संवार के देखो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
लगता है आवारगी जाने लगी है अब,
लगता है आवारगी जाने लगी है अब,
Deepesh सहल
होली
होली
Dr. Kishan Karigar
दुआ
दुआ
डॉ प्रवीण ठाकुर
उसको फिर उसका
उसको फिर उसका
Dr fauzia Naseem shad
कहाँ छूते है कभी आसमाँ को अपने हाथ
कहाँ छूते है कभी आसमाँ को अपने हाथ
'अशांत' शेखर
प्रकृति वर्णन – बच्चों के लिये एक कविता धरा दिवस के लिए
प्रकृति वर्णन – बच्चों के लिये एक कविता धरा दिवस के लिए
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मेरा यार आसमां के चांद की तरह है,
मेरा यार आसमां के चांद की तरह है,
Dushyant kumar Patel
कट्टरता बड़ा या मानवता
कट्टरता बड़ा या मानवता
राकेश कुमार राठौर
💐प्रेम कौतुक-303💐
💐प्रेम कौतुक-303💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
चालवाजी से तो अच्छा है
चालवाजी से तो अच्छा है
Satish Srijan
मां का आंचल(Happy mothers day)👨‍👩‍👧‍👧
मां का आंचल(Happy mothers day)👨‍👩‍👧‍👧
Ms.Ankit Halke jha
'ठहरो'
'ठहरो'
Dr. Rajiv
"मार्केटिंग"
Dr. Kishan tandon kranti
कनि बुझू तऽ जानब..?
कनि बुझू तऽ जानब..?
मनोज कर्ण
*रेवड़ी आराम से, अपनों को बाँटी जा रही (मुक्तक)*
*रेवड़ी आराम से, अपनों को बाँटी जा रही (मुक्तक)*
Ravi Prakash
Loading...