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30 Jan 2023 · 2 min read

प्यासा_कबूतर

मरुभूमि और रणभूमि में जब किसी को प्यास लगती है तो उसे पानी का महत्व पता चलता है इन कबूतरों को देखो जब उसे प्यास लगी तो वह पानी की तलाश में निकला और उसे पानी नहीं मिल रहा था तो प्यासा कबूतर इधर-उधर भटक रहा था जहां पानी उसे दिखा तो वहां कोई और था जहां पानी नहीं था वहां कोई नहीं था फिर प्यासा कबूतर की नजर एक पाइप पर पड़ी उस पाइप से थोड़ी-थोड़ी पानी निकल रही थी उस पाइप पे प्यासा कबूतर बैठ गया और अपनी प्यारी ठोर (मुँह) से पानी को पीने लगा उस समय मैं और मेरा दोस्त Sanaullah वही मौजूद थे उस प्यासा कबूतर की प्यास देख रहे थे फिर हमने सोचा उस पाइप की पानी थोड़ा तेज कर दे

फिर याद आया कि अगर हम गए तो यह प्यासा कबूतर उड़ जाएगा और फिर यह प्यासा कबूतर इधर उधर पानी की तलाश में भटकने लगेगा तो हम क्या करते दूर से उस प्यासा कबूतर की दृश्य देख रहे थे एक पल के लिए ऐसा लगा कि जो उसके आंखों से बह रहे आँसु को अर्पित करूँ लेकिन वह डर रहा था वह जो पानी पी रहा है जितना उसे पीने के लिए मिल रहा है उसे भी वह वंचित न हो जाए पानी जिसे हम और आप अधिक मात्रा में नष्ट कर रहे हैं हम किसी और का प्रवाह नहीं कर रहे हैं हम लोगों ने कभी भी यह सोचने की कोशिश नहीं किया कि हम और आप कभी भी इस हालात में पड़ जाएंगे उस समय हमारा क्या होगा

पानी को अधिक मात्रा में प्रयोग करना और उसे बहाना उसका भी हमसे हिसाब लिया जाएगा और पूछा जाएगा कि तुमने अधिक मात्रा में पानी का उपयोग क्यों किया
और जो दूसरा प्यासा था उसे पीने के लिए पानी नसीब नहीं हुआ उस समय हमारा भी वही हाल होगा जो इन कबूतरों के साथ हुआ हम सब सिर्फ अपना ही देखते हैं लेकिन हमें खुद के साथ-साथ दूसरों के बारे में भी सोचना चाहिए ताकि दूसरों को भी जरूरत पूरा हो सके जो अधिकार हम पर थोपा गया है वह पूरा हो और जिस पानी को हम खत्म कर रहे हैं उस पानी की खत्म हो जाने से हम खत्म हो जाएंगे।

जाकर उनसे पूछो जहां पानी नहीं है उनका क्या हाल है और जहां पानी है भी वहां जरूरत पूरी नहीं होती आप वहां उनके पास रहों फिर आपको पता चलेगा हम नलका खोल कर छोड़ देते हैं और हमें फर्क ही नहीं पड़ता है
आप इसे कहानी मत समझना आप इस तस्वीर में कबूतरों के हाल को देख कर समझ सकते हैं यह घटना हम सबके साथ तो हो चुका है लेकिन हम भूल गए हैं अगर आपके साथ नहीं हुआ है तो आपके साथ जरूर होगा

संस्कृत में एक कहावत है

जस करनी तष भोग न जाता
नर्क जात क्यों पछताता

आप सभी से अनुरोध है कि आप आवश्यकता अनुसार पानी का उपयोग करें
जय हिंद ❤🤍💚

शकिल आलम
छात्र पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग MANUU (Hederabad)

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