पीर पराई
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पीर पराई
पर सन्ताप न राजा जाने,
न दुख समझे वैश्या ।
यमराजा भी कभी न जाने,
किसी का दुख हो कैसा ।
इन्हें भी कुछ न लेना देना,
अग्नि, चोर, भिखमंगा ।
कर उगाहक, छोटा बच्चा,
पर दुख में भी चंगा ।
चाणक्य बाबा जाँच परखकर,
आठों की क्या बात बतायी।
कोई चाहे कितना कर ले,
ये क्या जाने पीर पराई।