परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल ! दोनों ही स्थितियों में
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परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल ! दोनों ही स्थितियों में व्यक्ति की क्षमता बढ़ाने में मददगार होती है । समस्याओं की सार्थकता को समझते हुए उसे सधैर्य सुलझाना ही पुरूषार्थ है । दु:ख के अनुभव से आनन्द के एहसास में वृद्धि होती है । जब तक व्यक्ति का प्रयास पूरे मनोयोग से जीवित है तभी तक व्यक्ति जिन्दा है ।