मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Khata kar tu laakh magar.......
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
*रात से दोस्ती* ( 9 of 25)
तेरी कमी......
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
मुद्दतों से तेरी आदत नहीं रही मुझको
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
हम सा भी कोई मिल जाए सरेराह चलते,
मैं गुजर जाऊँगा हवा के झोंके की तरह
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*