ना जाने कौन से मैं खाने की शराब थी
ना जाने कौन से मैं खाने की शराब थी
दो ही घुट ने सारा जिगर जला डाला ,
मेरे मुताबिक इश्क नहीं लोटाया उसने
अधूरे इश्क ने यह क्या हाल बना डाला
कवि दीपक सरल
ना जाने कौन से मैं खाने की शराब थी
दो ही घुट ने सारा जिगर जला डाला ,
मेरे मुताबिक इश्क नहीं लोटाया उसने
अधूरे इश्क ने यह क्या हाल बना डाला
कवि दीपक सरल