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15 Jul 2016 · 1 min read

नयनों की चोट

मुक्तक
वो लगाकर घात बैठे आज करने नैन चोट।
तृप्ति के आधार मुख पर कर लिये हैं केश ओट।
चाहतें मन में जगा उसने किया हमको अधीर।
फिर प्रणय की आस में दिल पर रहे हैं साँप लोट।
अंकित शर्मा’ इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)

Language: Hindi
481 Views
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