दोहे मिश्रित (2)
चढ़े खिलौनों के जहाँ, …आसमान में भाव !
निर्धन ने तैयार की, फिर कागज़ की नाव !!
सच्चाई का इक दफा, लिया हाथ जो थाम !
उसका सारी उम्र फिर,.. पड़े चुकाना दाम !!
माता भ्रस्टाचार हो,…मंहगाई औलाद!
सत्ताधारी बाप तो,कौन सुने फरियाद !!
टनों लकडियाँ फूँक दी,किॆए कई अभिषेक !
नही लगाया आपने,…. वृक्ष कभी पर एक !!
अपने जीवन काल में, करो काम इक नेक !
जन्मदिवस पर तुम स्वयं ,वृक्ष लगाओ एक !!
सभी खड़े इक नाव पर, थाम झूठ का हाथ !
गलती का यह ठीकरा ,फोड़ें किसके माथ !!
किया अकारण जल अगर, इस पीढ़ी ने व्यर्थ !
कल होगा सूखा यहाँ,….. होगा बड़ा अनर्थ !!
सुनने मे अच्छा लगे, ..लगता मगर अजीब!
सिखलाए हमको अगर,शातिर ही तहजीब!!
मुख मे तो हरिओम है,मन मे लेकिन पाप !
फिर तो तेरा व्यर्थ है, हरिहर-हरिहर जाप !!
रखें नियंत्रण क्रोध पर, निर्मल रखें स्वभाव !
उपजेगा निश्चित नहीं, .जल्दी कभी तनाव !!
रमेश शर्मा