दोहा त्रयी. . . .
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/d4b7afa6b49989a3945aca85694fdd7b_064acf61be2c0be754ebfcdea9f11801_600.jpg)
दोहा त्रयी. . . .
छलिया आँखें छल करें, अन्तस उपजे ज्वार ।
प्रेम प्रदर्शन में कहीं, हो न कलंकित प्यार ।।
दिलवालों का आ गया, दिलवाला त्यौहार ।
दिल ले कर दिल ढूँढता, दिल अपना दिलदार ।।
नैना देते प्रेम का , नैनों को उपहार ।
प्रत्युत्तर में हो रहा, अधरों का अभिसार ।।
सुशील सरना 14-2-24