Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2023 · 3 min read

दोस्ती

मेजर रतन सिंह और सूबेदार मनसुख एक साथ कई जगहों पर तैनात रहे थे, इसलिए उन दोनों के बीच काफी अच्छी दोस्ती थी। वे दोनों अपने सुख दुख बांटा करते थे, चाहे रतन सिंह के अकेले मां बाप के बारे में चिंता वाली बात हो या फिर मनसुख के नई नवेली पत्नि को छोड़कर आने की चिंता सब बातें वो दोनों आपस में करके एक दूसरे का गम बांट लिया करते थे।
इसी तरह वो दोनों घर से दूर रहकर भी एक दूसरे को अकेलापन महसूस नहीं होने देते थे।

फौज की नौकरी में कई मोर्चों पर साथ साथ रहने के दौरान अब दोनों ही काफी घनिष्ट मित्र बन गए थे और एक दूसरे का ध्यान रखते हुए वो परस्पर दुख सुख बांटा करते थे। इसी तरह से उनके दिन गुजर रहे थे कि तभी पड़ोसी देश की ओर से कुछ घुसपैठ की खबर मिली और उनकी बटालियन को इस मामले को देखने की जिम्मेदारी मिली थी।

मेजर रतन सिंह इस टास्क पर अपनी टीम को लीड कर रहे थे और मनसुख अपने साथियों के साथ रतन सिंह के साथ था। वो सभी बॉर्डर पर सर्चिंग कर रहे थे और उन्हें इस काम में लगे कई घण्टे बीत चुके थे, मनसुख ने रतन सिंह को कहा साहब जी हमें चलते हुए कई घण्टे हो गए हैं जवान थक गए हैं क्या थोड़ी देर सुस्ता लें। इस पर रतन सिंह ने कहा कि अभी हम खुले में है रुकेंगे तो खतरा ज्यादा रहेगा इसलिए किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचकर सुस्ता लेंगे।

अभी वो दोनों बात कर ही रहे थे कि तभी अचानक उनके ऊपर हमला हो गया था और उनके ऊपर गोला बारूद बरसने लगा था, उस समय वो सब खुले में थे तो रतन सिंह ने अपने जवानों को जल्दी से कहीं आड़ लेकर दुश्मनों से बचने का आदेश दिया।

अब वहां सीमा पर दुश्मनों और रतन सिंह की तुकड़िबके बीच घमासान लड़ाई होने लगी, दोनों तरफ से गोलियों की बौछार हो रही थी। रतन सिंह ने देखा कि दुश्मनों की ओर से एक रॉकेट नुमा बम मनसुख के पास आकर गिरा है और मनसुख का ध्यान उधर नहीं गया था, तो रतन सिंह ने आव देखा न ताव और पलक झपकते ही उस रॉकेट के ऊपर झपटते हुए उसे पकड़कर दूर फेंकने की कोशिश की,लेकिन जैसे ही रतन सिंह ने रॉकेट को लेकर दौड़ लगाई थी की वो उसके ऊपर ही फट गया और रतन सिंह बुरी तरह से घायल हो गया।

ये दृश्य देखकर मनसुख ने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए रतन सिंह की ओर दौड़ लगाई और उसे उठाकर अपने खेमे में ले आया, उसे पानी पिलाकर मनसुख ने कहा मेरी जान बचाने के लिए आपने अपनी जान क्यों खतरे में डाल दी साहब। रतन बोला यार अब आखिरी वक्त में तो साहब बोलकर हमारी दोस्ती की तौहीन मत कर, मैंने अपने दोस्त की जान मुसीबत में देखी तो भला कैसे चुप रहता और वैसे भी तेरे ऊपर मेरे से ज्यादा जिम्मेदारियां है तेरी नई नई शादी हुई है और बुजुर्ग मां बाप भी हैं। बस यार इतना करना कि मेरे मां बाप का मेरे सिवाय कोई नहीं है तो अपने परिवार के साथ साथ उनका भी ख्याल रखना, इस पर मनसुख ने उसका घायल हाथ पकड़कर उससे वादा किया और फिर रतन सिंह शहीद हो गया।

उस दिन मनसुख ने रतन का अधूरा काम पूरा करते हुए पूरी बहादुरी से लड़कर दुश्मनों को सीमा से बाहर खदेड़ कर मातृभूमि की रक्षा कर ली थी। उसके बाद से वो अपने वादे के अनुसार अपने परिवार के साथ साथ अपने दोस्त रतन सिंह के मां बाप को भी अपने मां बाप की तरह देखभाल कर रहा था और ये सिलसिला आज भी जारी है जब वो फौज से रिटायर हो गया है और अपने खेतों के साथ साथ रतन सिंह के खेतों में भी खेती किया करता था, उससे जो भी मुनाफा होता उसे रतन सिंह के मां बाप को दे भी दिया करता था।

तो ऐसी थी फौज के बहादुर जवानों मेजर रतन सिंह और सूबेदार मनसुख की दोस्ती, जिसकी मिसाल आज भी उनके गांव के लोग दिया करते हैं।

✍️ मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, छत्तीसगढ़ मो.नं.9827597473

1 Like · 346 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2677.*पूर्णिका*
2677.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अधमी अंधकार ....
अधमी अंधकार ....
sushil sarna
"फितरत"
Dr. Kishan tandon kranti
जाओ तेइस अब है, आना चौबिस को।
जाओ तेइस अब है, आना चौबिस को।
सत्य कुमार प्रेमी
*ससुराल का स्वर्ण-युग (हास्य-व्यंग्य)*
*ससुराल का स्वर्ण-युग (हास्य-व्यंग्य)*
Ravi Prakash
नदी का किनारा ।
नदी का किनारा ।
Kuldeep mishra (KD)
ग्रीष्म
ग्रीष्म
Kumud Srivastava
कुंडलिया
कुंडलिया
गुमनाम 'बाबा'
#गीत
#गीत
*प्रणय प्रभात*
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
जीतना अच्छा है,पर अपनों से हारने में ही मज़ा है।
जीतना अच्छा है,पर अपनों से हारने में ही मज़ा है।
अनिल कुमार निश्छल
करूण संवेदना
करूण संवेदना
Ritu Asooja
रोशनी से तेरी वहां चांद  रूठा बैठा है
रोशनी से तेरी वहां चांद रूठा बैठा है
Virendra kumar
* श्री ज्ञानदायिनी स्तुति *
* श्री ज्ञानदायिनी स्तुति *
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
समस्या का समाधान
समस्या का समाधान
Paras Nath Jha
तूझे क़ैद कर रखूं ऐसा मेरी चाहत नहीं है
तूझे क़ैद कर रखूं ऐसा मेरी चाहत नहीं है
Keshav kishor Kumar
वज़्न -- 2122 1122 1122 22(112) अर्कान -- फ़ाइलातुन - फ़इलातुन - फ़इलातुन - फ़ैलुन (फ़इलुन) क़ाफ़िया -- [‘आना ' की बंदिश] रदीफ़ -- भी बुरा लगता है
वज़्न -- 2122 1122 1122 22(112) अर्कान -- फ़ाइलातुन - फ़इलातुन - फ़इलातुन - फ़ैलुन (फ़इलुन) क़ाफ़िया -- [‘आना ' की बंदिश] रदीफ़ -- भी बुरा लगता है
Neelam Sharma
खांचे में बंट गए हैं अपराधी
खांचे में बंट गए हैं अपराधी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*आँखों से  ना  दूर होती*
*आँखों से ना दूर होती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
❤️एक अबोध बालक ❤️
❤️एक अबोध बालक ❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Preparation is
Preparation is
Dhriti Mishra
पहाड़ चढ़ना भी उतना ही कठिन होता है जितना कि पहाड़ तोड़ना ठीक उस
पहाड़ चढ़ना भी उतना ही कठिन होता है जितना कि पहाड़ तोड़ना ठीक उस
Dr. Man Mohan Krishna
कविता: जर्जर विद्यालय भवन की पीड़ा
कविता: जर्जर विद्यालय भवन की पीड़ा
Rajesh Kumar Arjun
ये रात है जो तारे की चमक बिखरी हुई सी
ये रात है जो तारे की चमक बिखरी हुई सी
Befikr Lafz
मजबूरियां रात को देर तक जगाती है ,
मजबूरियां रात को देर तक जगाती है ,
Ranjeet kumar patre
वक्त का सिलसिला बना परिंदा
वक्त का सिलसिला बना परिंदा
Ravi Shukla
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर
Bindesh kumar jha
2. *मेरी-इच्छा*
2. *मेरी-इच्छा*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
मची हुई संसार में,न्यू ईयर की धूम
मची हुई संसार में,न्यू ईयर की धूम
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हिंदी सबसे प्यारा है
हिंदी सबसे प्यारा है
शेख रहमत अली "बस्तवी"
Loading...