दुःख से
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दुःख से
क्यूँ भय लगता है,
यह
मुझको तो
प्रिय और
सुखमय लगता है,
प्राणों में
जीवन का
स्पंदन
और मृत्यु की
लय लगता है।
दुःख से
क्यूँ भय लगता है,
यह
मुझको तो
प्रिय और
सुखमय लगता है,
प्राणों में
जीवन का
स्पंदन
और मृत्यु की
लय लगता है।