दिन ढले तो ढले
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हँसकर मिलना तुम सभी से गले
अगर दिन ढलता है तो ढले …हंसकर …
निशा है ये काली पर कट ही जाएगी
मुश्किल है मंजिल मगर मिल जाएगी
न हिम्मत से पीछे हटना कभी
न जीवन में तुम डरना कभी
चलें से तेरे ये दुनियां चले
अगर दिन ढलता है तो …
न आँखों में तेरे आंसू हो कभी
बाकी हैं रौशन सितारे अभी
साथ उसका है तो फिर गिला क्या
झूठी इस दुनियां में रक्खा है क्या
चले ही रहे हैं इसके शिकवे गिले
अगर दिन ढलता है तो ….
है सहस का तुझमें ही दरिया बड़ा
डिगा है कभी न जो पर्वत खड़ा
ये आंधी बबंडर नहीं तुमसे बड़े
है ईश्वर जो तुमको थामे है खड़े
साथी कोई भंवर में मिले न मिले
अगर दिन ढलता है तो …
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