दिनांक:- २४/५/२०२३
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दिनांक:- २४/५/२०२३
प्रेम भरा हो जिस हृदय, कभी न हो पाषाण।
जिस हिय पलता प्रीत नहीं, मानों है निष्प्राण।।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
दिनांक:- २४/५/२०२३
प्रेम भरा हो जिस हृदय, कभी न हो पाषाण।
जिस हिय पलता प्रीत नहीं, मानों है निष्प्राण।।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’