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11 Mar 2023 · 1 min read

तेरी तसवीर को आज शाम,

तेरी तसवीर को आज शाम,
तन्हाई में बुलाया है मैंने।
बन गई बात ,
तो एक ग़ज़ल हो भी सकती है
धुंधलके में, जो रोशन सी नज़र आये।
दिल के तालाब में,
तू वो कमल हो भी सकती है
सुनसान पड़े, खंडहर से एक दिल मे।
बरसो से दबा , वो एक महल हो भी सकती है।
हां, तू शायद मेरी,
अनकही गजल भी हो सकती है
नवाब “सैम”

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