Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Oct 2016 · 1 min read

तुम जो मिलें

पिया,
तुम जो मुझे मिलें
जिन्दगी की कश्तियाँ सज गई
तुम जो मुझे मिले
मेरी आँखो में मस्तियाँ खिल गई
तुम जो मुझे मिलें———–

पिया,
तुम जो मुझे मिलें
भूली हुई यादें छनछनाने लगी
तुम जो मुझे मिलें
रग-रग मेरी इतराने लगी
तुम जो मुझे मिले———-

पिया,
तुम जो मुझे मिले
मन का दादुर पपीहा गाने लगा
तुम जो मुझे मिलें
जिया हरष हरष हरसाने लगा
जो तुम मुझे मिले———–

पिया ,
जो तुम बहुत दिन बाद मिलें
पिया तुम आकर मत जाना रे
छोड़ अकेला मत भटकाना रे
उर से मुझे लगाये रखना रे
जो तुम मुझे मिलें————

पिया,
जब से तुमसे मिली
बादलों में जैसे बदरियाँ घिरती
प्यासी अखियाँ भी तरसती
बंधन है यह तेरे प्यार का
पिया समर्पण तेरे प्यार को
जो तुम मुझे मिलें——–

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
Tag: गीत
71 Likes · 407 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
महंगाई
महंगाई
Surinder blackpen
💐प्रेम कौतुक-481💐
💐प्रेम कौतुक-481💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
लखनऊ शहर
लखनऊ शहर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
■
*Author प्रणय प्रभात*
होगा कौन वहाँ कल को
होगा कौन वहाँ कल को
gurudeenverma198
सम्भल कर चलना ऐ जिन्दगी
सम्भल कर चलना ऐ जिन्दगी
Anamika Singh
मार्गदर्शन होना भाग्य की बात है
मार्गदर्शन होना भाग्य की बात है
Harminder Kaur
आज़ाद फ़िज़ाओं में उड़ जाऊंगी एक दिन
आज़ाद फ़िज़ाओं में उड़ जाऊंगी एक दिन
Dr fauzia Naseem shad
नायाब तोहफा
नायाब तोहफा
Satish Srijan
लोकदेवता :दिहबार
लोकदेवता :दिहबार
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
'रावण'
'रावण'
Godambari Negi
एक था रवीश कुमार
एक था रवीश कुमार
Shekhar Chandra Mitra
प्रकृति का विनाश
प्रकृति का विनाश
Sushil chauhan
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀 *वार्णिक छंद।*
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀 *वार्णिक छंद।*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मिलना , क्यों जरूरी है ?
मिलना , क्यों जरूरी है ?
Rakesh Bahanwal
मन-मंदिर में यादों के नित, दीप जलाया करता हूँ ।
मन-मंदिर में यादों के नित, दीप जलाया करता हूँ ।
Ashok deep
चलो क्षण भर भुला जग को, हरी इस घास में बैठें।
चलो क्षण भर भुला जग को, हरी इस घास में बैठें।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मैथिली भाषाक मुक्तक / शायरी
मैथिली भाषाक मुक्तक / शायरी
Binit Thakur (विनीत ठाकुर)
*विहग (कुंडलिया)*
*विहग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
संघर्ष की शुरुआत / लवकुश यादव
संघर्ष की शुरुआत / लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
भाई दोज
भाई दोज
Ram Krishan Rastogi
*😊 झूठी मुस्कान 😊*
*😊 झूठी मुस्कान 😊*
प्रजापति कमलेश बाबू
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्यार इस कदर है तुमसे बतायें कैसें।
प्यार इस कदर है तुमसे बतायें कैसें।
Yogendra Chaturwedi
★TIME IS THE TEACHER OF HUMAN ★
★TIME IS THE TEACHER OF HUMAN ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
माँ की वंदना
माँ की वंदना
Buddha Prakash
सफलता का महत्व समझाने को असफलता छलती।
सफलता का महत्व समझाने को असफलता छलती।
Neelam Sharma
Kathputali bana sansar
Kathputali bana sansar
Sakshi Tripathi
सब से खूबसूरत
सब से खूबसूरत
shabina. Naaz
ग़ज़ल/नज़्म - न जाने किस क़दर भरी थी जीने की आरज़ू उसमें
ग़ज़ल/नज़्म - न जाने किस क़दर भरी थी जीने की आरज़ू उसमें
अनिल कुमार
Loading...